अंबिकापुर : शहर में सोमवार का दिन एक अनोखे और भावुक जश्न का गवाह बना। अक्सर वैवाहिक वर्षगांठ के कार्यक्रम घरों की चारदीवारी में केक काटकर मनाए जाते हैं, लेकिन शहर के एक बुजुर्ग दम्पत्ति ने अपनी 65वीं विवाह वर्षगांठ को ऐसा यादगार पल बना दिया, जिसकी चर्चा पूरे इलाके में होने लगी है।
लाठी के सहारे निकली दूल्हा–दुल्हन की बारात
85 वर्षीय दूल्हा और 81 वर्षीय दुल्हन पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे, हाथों में लाठी थामे जब बाहर निकले, तो देखने वालों की भीड़ जुट गई। घरवालों ने बैंड-बाजे के साथ बाकायदा बारात निकाली। लोग मुस्कुराते हुए इस अनोखी बारात के वीडियो और तस्वीरें लेते नजर आए। कई लोगों ने बुजुर्ग दम्पत्ति को आशीर्वाद देते हुए कहा – “इन्हें 100 साल तक साथ रहने का वरदान मिले।”
65 साल पहले रह गया था ‘बारात’ का सपना अधूरा
परिवार के सदस्यों के अनुसार, 65 साल पहले हुई उनकी शादी बेहद सादगी से संपन्न हुई थी। आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी के कारण उस समय न तो बैंड-बाजा हुआ, न बारात निकली और न ही दुल्हन की विदाई किसी रस्म-ओ-रिवाज के साथ हो सकी। दम्पत्ति ने जीवन भर इस अधूरी इच्छा को मन में रखा, लेकिन कभी किसी से कहा नहीं। बच्चों ने इस बार माता-पिता की मन की अनकही इच्छा समझी और उनकी गुप्त ख्वाहिश पूरी करने का फैसला किया।
बच्चों ने दी “सपनों वाली शादी” की सौगात
बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों ने मिलकर इस वर्षगांठ को विवाह संस्कारों से भरपूर एक सेकंड इनिंग बना दिया। दूल्हा–दुल्हन की हल्दी से लेकर वरमाला तक के रीति-रिवाज पूरे किए गए। बुजुर्ग दुल्हन ने फिर से वही सिर पर पल्लू रखकर वरमाला पहनाई और दूल्हा बने दादा ने मुस्कुराते हुए वरमाला स्वीकार की। यह दृश्य इतना भावुक था कि वहां मौजूद कई लोगों की आंखें नम हो गईं।






















