रायपुर : भारत निर्वाचन आयोग ने देशभर की चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 344 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की मान्यता समाप्त कर दी है। इन दलों को तकनीकी रूप से डीलिस्ट कर दिया गया है। इस कार्रवाई की सीधी चपेट में छत्तीसगढ़ के 9 राजनीतिक दल भी आए हैं, जिनमें —
- छत्तीसगढ़ एकता पार्टी
- छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा
- छत्तीसगढ़ समाजवादी पार्टी
- पृथक बस्तर राज्य पार्टी
- राष्ट्रीय आदिवासी बहुजन पार्टी
- छत्तीसगढ़ विकास पार्टी
- राष्ट्रीय मानव एकता कांग्रेस पार्टी
- छत्तीसगढ़ समाजवादी स्वाभिमान मंच
- छत्तीसगढ़ संयुक्त जाति पार्टी
शामिल हैं।
कार्रवाई का आधार
निर्वाचन आयोग ने यह कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत की है। इस प्रावधान के अनुसार, राजनीतिक दलों को पंजीकरण के समय अपना नाम, पता, पदाधिकारियों की जानकारी देना अनिवार्य है, साथ ही इनमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने पर आयोग को तत्काल सूचित करना होता है।
इसके अतिरिक्त, आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक यदि कोई राजनीतिक दल लगातार 6 वर्षों तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेता है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाता है।
पृष्ठभूमि
जून 2025 में निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को निर्देश दिया था कि 345 RUPPs के दस्तावेजों, गतिविधियों और नियमों के पालन की जांच की जाए। जांच में पाया गया कि इनमें से कई दल न तो चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय थे और न ही आयोग को अपनी अद्यतन जानकारी दे रहे थे।
वर्तमान स्थिति
कार्रवाई के बाद अब देश में कुल 6 राष्ट्रीय दल, 67 राज्यस्तरीय दल (क्षेत्रीय पार्टियां) और 2,854 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल शेष रह गए हैं। निर्वाचन आयोग का मानना है कि यह कदम न केवल राजनीतिक दलों की जवाबदेही बढ़ाएगा, बल्कि चुनावी प्रणाली से निष्क्रिय और कागजी दलों को बाहर कर देगा।