गरियाबंद : इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) की राजिम शाखा में 1.65 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश करते हुए आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) ने चार आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में चालान दाखिल किया है। यह चालान लगभग 2000 पन्नों का है और इसमें बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा की गई सुनियोजित धोखाधड़ी की पूरी कहानी दर्ज है।
जाने क्या है पूरा मामला
यह गंभीर घोटाला दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच इंडियन ओवरसीज बैंक, राजिम शाखा, जिला गरियाबंद में अंजाम दिया गया। 17 खाताधारकों के नाम पर बिना उनकी जानकारी और सहमति के फर्जी ज्वेल लोन स्वीकृत किए गए। न ही खाताधारक बैंक में उपस्थित थे, न ही कोई वाउचर भरा गया । संपूर्ण प्रक्रिया कम्प्यूटर सिस्टम में कूटरचित तरीके से दर्ज की गई, जिससे बैंक को 1.65 करोड़ 44 हजार रुपये का नुकसान हुआ।
आरोपियों की पहचान
- सुनील कुमार – तत्कालीन शाखा प्रबंधक
- अंकिता पाणिग्रही – तत्कालीन सहायक शाखा प्रबंधक
- योगेश पटेल – तत्कालीन लिपिक
- खेमनलाल कंवर – तत्कालीन लिपिक
इन सभी आरोपियों को पहले ही न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है, और अब उनके खिलाफ धारा 409, 467, 468, 471, 120बी, 201 भादंवि एवं धारा 13(1)(क) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) के तहत अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया है।
कैसे हुआ खुलासा?
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब खाताधारकों को उनके नाम से लोन स्वीकृति की जानकारी मिली और उन्होंने बैंक में आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की, जिसमें पाया गया कि बिना किसी दस्तावेज या भौतिक उपस्थिति के कंप्यूटर सिस्टम में ज्वेल लोन दर्ज किए गए थे।EOW अब डिजिटल सबूत, लेन-देन के रिकॉर्ड, सिस्टम एक्सेस लॉग्स और CCTV फुटेज की जांच के जरिए अन्य संलिप्त लोगों की पहचान कर रही है। इस घोटाले में और लोगों के संलिप्त होने की भी संभावना जताई जा रही है।