रायपुर : राजधानी रायपुर में दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा नियुक्ति संघ का आंदोलन शुक्रवार को उस समय नाटकीय मोड़ ले लिया जब संगठन की अध्यक्ष अश्वनी सोनवानी ने गृहमंत्री विजय शर्मा के बंगले के सामने फिनाइल पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। इस घटना के बाद पुलिस और महिलाओं के बीच जमकर झूमाझटकी हुई। घायल अध्यक्ष को मेकाहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है।
रायपुर में जोरदार प्रदर्शन और अफरा-तफरी
राजधानी रायपुर में शुक्रवार को दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा नियुक्ति संघ ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। संगठन की महिलाएं गृहमंत्री विजय शर्मा के सरकारी आवास के बाहर धरने पर बैठ गईं। पिछले 10 वर्षों से अनुकंपा नियुक्ति की मांग लंबित रहने पर संघ के सदस्य लगातार आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार द्वारा ठोस निर्णय न लिए जाने से नाराज होकर इस बार राजधानी में उग्र प्रदर्शन किया गया।
धरने के दौरान स्थिति तब बिगड़ी जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने की कोशिश शुरू की। इस दौरान पुलिस और महिलाओं के बीच धक्का-मुक्की व झूमाझटकी हुई। अफरा-तफरी के बीच संघ की अध्यक्ष अश्वनी सोनवानी ने अचानक फिनाइल पी लिया। उनकी हालत बिगड़ते ही मौके पर मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया। पुलिस और कार्यकर्ताओं की मदद से उन्हें तत्काल अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
महिलाओं को पुलिस ने किया हिरासत में
धरना स्थल पर स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख पुलिस ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं को बसों में बैठाकर नया रायपुर स्थित तूता धरना स्थल पर पहुंचाया। हालांकि इस दौरान भी महिलाओं ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया और जमकर नारेबाजी की। सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें महिलाओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की और हंगामे के दृश्य साफ देखे जा सकते हैं।
संघ की प्रमुख मांग
दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा नियुक्ति संघ की प्रमुख मांग है कि सेवा के दौरान दिवंगत हुए पंचायत शिक्षकों के परिजनों को जल्द से जल्द अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए। संघ का कहना है कि पिछले एक दशक से लगातार सरकारों से गुहार लगाने के बावजूद इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।संगठन की महिलाओं का कहना है कि शिक्षकों की मृत्यु के बाद उनके परिवार आर्थिक संकट से जूझते हैं। ऐसे में परिजनों को रोजगार देकर उनकी मदद करना सरकार की जिम्मेदारी है। मांग पूरी न होने से नाराज होकर ही आंदोलन तेज किया गया है।