रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने निराश्रित और घुमंतू गौवंश की देखभाल और संरक्षण के लिए गौधाम योजना को व्यापक रूप देने की तैयारी शुरू कर दी है। इस योजना के तहत चरवाहा और गौसेवकों की भर्ती की जाएगी, जिन्हें सरकार की ओर से नियमित मानदेय दिया जाएगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत नस्ल सुधार के प्रयास भी तेज किए जाएंगे।
गौसेवा के लिए तय हुआ मानदेय
राज्य सरकार द्वारा जारी सूचना के अनुसार, गौधामों के संचालन हेतु चरवाहा और गौसेवकों की नियुक्ति की जाएगी, जिन्हें श्रम विभाग द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दर पर मानदेय प्रदान किया जाएगा।
- चरवाहा (अकुशल श्रमिक):
प्रति माह ₹10,916 (प्रत्येक)
प्रति वर्ष ₹1,30,990 - गौसेवक (अर्धकुशल श्रमिक):
प्रति माह ₹13,126 (प्रत्येक)
प्रति वर्ष ₹1,57,512
यह राशि समय-समय पर मौजूदा न्यूनतम वेतन दरों के अनुसार परिवर्तनीय रहेगी।
कहां होंगे नियुक्त?
गौधामों की स्थापना शासकीय भूमि या जहां पूर्व में गोठान स्थापित हैं, वहां की जायेगी। इन गौधामों में अवैध तस्करी से जप्त पशुओं के साथ-साथ सड़कों पर घूमने वाले निराश्रित और घुमंतू गोवंश को रखा जाएगा। इसके लिए ऐसी शासकीय भूमि का चयन किया जाएगा, जहां पानी, बिजली और चारे की पर्याप्त सुविधा हो।
नस्ल सुधार और उत्पादों को मिलेगा बढ़ावा
सरकार ने गोवंश की नस्ल सुधार के लिए Sex Sorted Semen तकनीक के उपयोग की योजना भी बनाई है। इसके तहत चयनित संस्थाओं को प्रति वर्ष ₹1,50,000 की प्रतिपूर्ति दी जाएगी।
युवाओं को मिलेगा रोजगार का अवसर
इस योजना से जहां निराश्रित पशुओं की समस्या का समाधान होगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। गौधामों को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे लोग गौसेवा, नस्ल सुधार, चारा विकास और गो-उत्पाद निर्माण में दक्षता प्राप्त कर सकें। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल न केवल निराश्रित पशुओं के संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि स्थानीय बेरोजगारों के लिए भी आय का नया स्रोत बन सकती है। चरवाहा और गौसेवक बनने के इच्छुक युवाओं को इस योजना से जुड़ने का अवसर मिलेगा।


