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क्यों 15 दिन बीमार पड़ते हैं भगवान जगन्नाथ, भक्त माधवदास की पीड़ा से जुड़ा है अनोखा रहस्य

पुरी : ओडिशा के पुरी स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ हर साल 15 दिनों के लिए “बीमार” पड़ जाते हैं। यह अनोखी परंपरा ज्येष्ठ पूर्णिमा के स्नान के बाद शुरू होती है, जो इस साल 12 जून 2025 को थी। इस दौरान भगवान एकांतवास में चले जाते हैं, और मंदिर भक्तों के लिए बंद हो जाता है। 27 जून 2025 को शुरू होने वाली रथयात्रा के दिन ही भक्तों को उनके दर्शन मिलेंगे। इस रहस्यमयी परंपरा के पीछे भक्त माधवदास की भक्ति और भगवान की करुणा की एक मार्मिक कहानी छिपी है, जो हर श्रद्धालु का दिल छू लेती है।

क्यों बीमार पड़ते हैं भगवान जगन्नाथ?

हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को 108 कलशों से स्नान कराया जाता है, जिसे “स्नान पूर्णिमा” कहा जाता है। इस स्नान के बाद तीनों देवता 15 दिनों के लिए “अनवसर” यानी बीमार हो जाते हैं। इस दौरान वे एकांतवास में रहते हैं, और मंदिर के पुजारी और वैद्य विशेष आयुर्वेदिक औषधियों से उनका “इलाज” करते हैं। मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद रहते हैं, और केवल चुनिंदा सेवक ही भगवान की सेवा में लगे रहते हैं। यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि भगवान और भक्त के बीच अनन्य प्रेम को भी दर्शाती है।

माधवदास की भक्ति और भगवान की करुणा-

इस परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जो भक्त माधवदास की भक्ति से जुड़ी है। प्राचीन काल में पुरी में माधवदास नामक एक भक्त रहते थे, जो भगवान जगन्नाथ की सेवा में दिन-रात समर्पित थे। एक बार उन्हें अतिसार (दस्त) का गंभीर रोग हो गया, जिसने उन्हें इतना कमजोर कर दिया कि वे चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गए। फिर भी, उनकी भक्ति अडिग रही, और वे किसी की सहायता के बिना मंदिर में भगवान की सेवा करने जाते रहे।

जब माधवदास पूरी तरह लाचार हो गए, तब स्वयं भगवान जगन्नाथ उनके घर सेवक के रूप में आए और उनकी सेवा शुरू कर दी। एक दिन माधवदास ने भगवान को पहचान लिया और भावुक होकर पूछा, “प्रभु, आप त्रिलोक के स्वामी हो, फिर मेरी सेवा क्यों कर रहे हो? आप चाहते तो मेरा रोग तुरंत ठीक कर सकते थे।” भगवान ने जवाब दिया, “भक्त की पीड़ा मुझसे देखी नहीं जाती। मैं तुम्हारी सेवा करने आया, लेकिन हर व्यक्ति को अपना प्रारब्ध भोगना पड़ता है।”

15 दिन की पीड़ा ले ली भगवान ने-

भगवान जगन्नाथ ने माधवदास से कहा कि उनके प्रारब्ध में बचे 15 दिनों का रोग अब वे स्वयं सहन करेंगे। इसके बाद भगवान ने माधवदास की बीमारी अपने ऊपर ले ली, जिससे माधवदास पूरी तरह ठीक हो गए, लेकिन भगवान बीमार पड़ गए। यह घटना ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हुई थी। तभी से परंपरा बन गई कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा 15 दिनों तक “बीमार” रहते हैं और एकांतवास में चले जाते हैं। इस दौरान वैद्य और पुजारी उनकी सेवा करते हैं, और भगवान आयुर्वेदिक औषधियों से “स्वस्थ” होते हैं।

रथयात्रा का शुभारंभ-

15 दिनों के एकांतवास के बाद, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान पूरी तरह “स्वस्थ” होकर रथ पर विराजमान होते हैं और भक्तों के बीच रथयात्रा के लिए निकलते हैं। इस साल रथयात्रा 27 जून 2025 से शुरू होगी, जब लाखों भक्त पुरी में भगवान के दर्शन और रथ खींचने के लिए एकत्र होंगे। यह यात्रा भगवान के भक्तों के प्रति प्रेम और उनकी करुणा का प्रतीक है।

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