रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा का आज का सत्र विपक्ष के तीखे तेवर और सत्तापक्ष की सख्ती के चलते हंगामेदार रहा। डीएपी खाद की कमी के मुद्दे पर कांग्रेस विधायकों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि विपक्षी विधायक बेल (गर्भगृह) के भीतर पहुंच गए, जिससे अध्यक्ष को नियमों के तहत उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित करना पड़ा।
हंगामे से शुरू हुआ प्रश्नकाल, दो बार स्थगित हुई कार्यवाही
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक डीएपी खाद की कमी को लेकर सवाल उठा रहे थे। सरकार द्वारा जवाब दिए जाने के बावजूद विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और नारेबाजी शुरू कर दी। सदन में हंगामा बढ़ा तो पहले पांच मिनट के लिए और फिर 12 बजे तक कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
बेल में घुसने पर स्वतः निलंबन, लेकिन नहीं मानी बात
छत्तीसगढ़ विधानसभा की परंपरा के मुताबिक, किसी भी सदस्य का गर्भगृह (बेल) में जाना स्वत: निलंबन की श्रेणी में आता है। बावजूद इसके, विपक्षी विधायक नारेबाजी करते हुए बेल के अंदर पहुंच गए और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के बार-बार के निर्देशों को भी अनदेखा करते रहे।
अध्यक्ष ने दिखाई सख्ती, विपक्ष के विधायक दिनभर के लिए निलंबित
लगातार असंसदीय व्यवहार और आदेशों की अवहेलना से नाराज़ होकर अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायकों को सदन से बाहर करने के निर्देश दिए, लेकिन वे नहीं माने और हंगामा करते रहे। इसके बाद अध्यक्ष ने सभी विरोधी विधायकों को दिनभर के लिए निलंबित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
संसदीय कार्यमंत्री केदार कश्यप का बयान
उन्होंने कहा:
“सरकार विपक्ष के हर सवाल का जवाब दे रही थी, लेकिन कुछ सदस्य बार-बार सदन की गरिमा भंग कर रहे थे। गर्भगृह में जाकर अध्यक्ष के आदेशों की अवहेलना करना लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ है। यह कार्रवाई नए विधायकों के लिए एक सीख होगी।”
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत का पलटवार
वहीं नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा:
“हम किसानों के हक के लिए लड़ रहे हैं। सरकार निजी कंपनियों को खाद देकर किसानों को वंचित कर रही है। यह किसानों के उत्पादन को रोकने की साजिश है। अगर किसानों की आवाज़ उठाने के लिए हमें 100 बार निलंबित होना पड़े, तो हम तैयार हैं।”
DAP की कमी बना सत्र का ज्वलंत मुद्दा
विधानसभा में DAP खाद की कमी का मुद्दा अब राजनीतिक तकरार का केंद्र बन चुका है। विपक्ष का कहना है कि निजी क्षेत्र को खाद देकर सरकारी योजनाओं को कमजोर किया जा रहा है, वहीं सत्तापक्ष इसे “राजनीतिक स्टंट” करार दे रहा है।राजनीतिक गरमाहट के बीच किसानों की चिंता फिर एक बार सदन के केंद्र में है। अब देखना यह होगा कि क्या यह बहस समाधान की दिशा में जाएगी या फिर राजनीति की आग में किसानों की उम्मीदें झुलसती रहेंगी।






















