अजब - गजब

‘फटाफट तैयार हो जाओ, S…. करना चाहता हूं’ CMO ने लेडी डॉक्टर से की डर्टी डिमांड, साढ़े 3 मिनट की कॉल रिकॉर्डिंग से फंस गए

यमुनानगर : लेडी डॉक्टर ने वहसी सिविल सर्जन की करतूतों का खुलासा किया है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए हैं। दरअसल महिला डॉक्टर ने सीएमओ के खिलाफ शिकायत करते हुए 3 मिनट 26 सेकेंड की कॉल रिकॉर्डिंग भीक कोर्ट में पेश किए हैं।

वहीं दूसरी ओर महिला डॉक्टर के आरोपों के खिलाफ सीएमओ ने अग्रीम जमानत के लिए याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर​ दिया है। मामले में सुनवाई के दौरान एडिशनल सेशन जज रंजना अग्रवाल की कोर्ट ने कहा-रिकॉर्डिंग सुनकर स्पष्ट हो रहा है कि आरोपी ने कार्यस्थल पर एक महिला कर्मचारी के प्रति यौन रूप से अश्लील शब्द कहे और यौन उत्पीड़न किया। यह अत्यंत आपत्तिजनक और अश्लील भाषा है। पुलिस द्वारा इस ऑडियो कॉल रिकॉर्डिंग की फोरेंसिक जांच भी कराई जा सकती है।

बताया जा रहा है कि जो कॉल रिकॉर्डिंग में आरोपी सीएमओ ने महिला डॉक्टर से बात करते हुए कहा कि ”अभी नहीं तो कभी नहीं, 10 से 15 मिनट में तैयार हो जाओ। घबरा क्यों रही हो और मुझे नजरअंदाज क्यों कर रही हो। मैं तेरे साथ संबंध बनाना चाहता हूं। आगे से किसी काम के लिए मत आना। मुझे तुम्हारे साथ संबंध बनाना है। किसी से भी इस बारे में बात न करना।” वहीं, लेडी डॉक्टर का कहना है कि इस मामले में फील्ड मैनेजर ने भी उनके ऊपर दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि वह सीएमओ के निर्देश पर उसे लेने आ रहा है।

लेडी डॉक्टर ने आरोप लगाया कि एक बार सीएमओ ने उनकी जाति को लेकर कहा कि तुम लोगों को नौकरी भी बड़ी आसानी से मिल जाती है, इसे बचा कर रखो। पीड़िता ने बताया कि एक दिन सीएमओ ने उसे कॉल कर अश्लील और यौन शोषण संबंधित टिप्पणियां की। यह सारी बात उसने अपनी मां को बताई। मां ने कॉल रिकॉर्ड करने को कहा। 20 सितंबर को दोपहर में उसके पास सीएमओ ने वॉट्सऐप पर कॉल की। कॉल पर सीएमओ ने उसके साथ बहुत ही ज्यादा अश्लील बातें कीं। जो उसने रिकॉर्ड कर लीं।

गिरफ्तारी से बचने के लिए सीएमओ डॉ. मंजीत ने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई। जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई। सीएमओ की पैरवी कर रहे वकील ने तर्क दिया- डॉ. मनजीत को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। यह मामला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद के लिए राजनीति के कारण दर्ज किया गया। इस संबंध में समाचार पत्रों में कई समाचार प्रकाशित हुए थे। इस राजनीति के कारण, पुलिस अनावश्यक रूप से आवेदक को परेशान कर रही थी।

दूसरी दलील में वकील ने कहा- डॉ. मनजीत ने शिकायतकर्ता को केवल आधिकारिक उद्देश्य से कॉल किया था, क्योंकि एक वीडियो कॉन्फ्रेंस चल रही थी। शिकायतकर्ता से कुछ भी बरामद नहीं करना। डॉ. मनजीत पर एससी/एसटी अधिनियम के तहत भी अपराध नहीं बनता, क्योंकि शिकायत में यह नहीं बताया गया कि शिकायतकर्ता की जाति का नाम लेकर अपमानजनक शब्द सार्वजनिक रूप से कहे गए थे। हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं थी। इसलिए, आवेदक अग्रिम जमानत का हकदार है।

मामले में पीड़िता लेडी डॉक्टर के एडवोकेट ने कोर्ट को तर्क दिया कि आरोपी ने कार्यस्थल पर महिला कर्मचारी को अश्लील शब्द कहे। पुलिस द्वारा उचित जांच के बाद केस दर्ज किया गया। मामले में बाकी की जांच अभी लंबित है और डाॅक्टर मनजीत प्रत्यक्ष रूप से केस में शामिल है। मामले की तह तक जाने के लिए आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है, इसलिए वह अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है।

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