बरसाना/वृंदावन, 9 जून 2025 : श्री राधा रानी, जिनका नाम भक्तों के हृदय में बसता है, प्रेम और भक्ति की साक्षात प्रतिमा मानी जाती हैं। राधा रानी न केवल भगवान श्रीकृष्ण की परम आराध्या हैं, बल्कि ब्रज की संस्कृति, लोक परंपराओं और आध्यात्मिक चेतना का भी आधार हैं। उनके नाम के बिना श्रीकृष्ण की उपासना अधूरी मानी जाती है।
बरसाना, जो राधा रानी की जन्मभूमि मानी जाती है, आज भी उनके प्रेम, उनकी लीलाओं और उनकी भक्ति की अनगिनत कहानियों से जीवंत है। यहां स्थित श्री राधा रानी मंदिर देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। हर साल ‘लट्ठमार होली’ और ‘राधाष्टमी’ जैसे पर्वों पर यह स्थान भक्ति, उल्लास और प्रेम से सराबोर हो जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि श्री राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की आत्मा का स्वरूप हैं। उनकी भक्ति में डूबे संतों ने सदियों तक राधा नाम का गान किया है – चाहे वो रसखान हों, सूरदास हों या फिर चैतन्य महाप्रभु। राधा-कृष्ण का मिलन एक आध्यात्मिक सत्य है, जो यह दर्शाता है कि जब आत्मा परमात्मा से मिलती है, तभी पूर्णता मिलती है।
आज के समय में भी श्री राधा रानी की पूजा और उनकी शिक्षाएं यह सिखाती हैं कि निष्काम प्रेम, सच्ची भक्ति और समर्पण के बिना ईश्वर तक पहुँचना कठिन है।
श्री राधे राधे का नाम जब भी लिया जाता है, हृदय स्वयं को दिव्यता से भरता हुआ महसूस करता है।
जय श्री राधे!