बालोद : छत्तीसगढ़ के बालोद ज़िले के ग्राम फुलझर में 80 वर्षीय बिहारीलाल यादव की अंतिम यात्रा एक अनूठी अंतिम यात्रा साबित हो रही है। बिहारीलाल यादव की लोकप्रियता उनकी अंतिम यात्रा में शामिल लोगों की भीड़ से ही परिलक्षित हुई। ग्राम फुलझर में माटी के दुलारे बिहारीलाल की अंतिम विदाई में बच्चे, बूढ़े, जवान तथा महिला-पुरुष सम्मिलित हुए और नम आँखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। यही नहीं गाँव में उनकी अंतिम यात्रा जस गीत और झांकी प्रस्तुति के साथ निकाली गई जिसमें गाँव के युवा यमराज और अन्य वेशभूषा में नज़र आए।

ग्रामीणों के अनुसार फुलझर निवासी 80 वर्षीय बिहारीलाल यादव अपने जीवनकाल में कुशल नृत्यकार, कुशल संगीतकार एवं महिला पात्र की भूमिका में रानी तारामती व मोरध्वज नाटक में रानी की भूमिका निभाते थे। उनके रुदन से समूचे दर्शकों की आँखों से आँसुओं की धारा थम नहीं पाती थी। गायन के क्षेत्र में जस गीत व फाग गीत की बेहतरीन प्रस्तुति देते थे। रामायण में उन्होंने 100 से भी अधिक स्वरचित, अलिखित गीतों की मंचीय प्रस्तुति दी थी जिनके अंदाज़ को लोग बेहद पसंद करते थे।

लोग मानते हैं कि उनके कारण ग्राम फुलझर को हमेशा सम्मान मिला। वे न केवल अपने ही गाँव, बल्कि आसपास के क्षेत्र में भी लोगों के बीच लोकप्रिय थे। इसी वजह से उनकी अंतिम यात्रा को जस गीत के माध्यम से बेहद सम्मान के साथ निकाला गया। इस दौरान गाँव के युवकों ने यमराज और धर्मराज की वेशभूषा धारण कर अंतिम यात्रा में सम्मिलित होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
