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छत्तीसगढ़ में SIR की शुरुआत, 2003 की मतदाता सूची से 2025 की सूची का मिलान, फर्जी वोटरों पर लगेगी लगाम

रायपुर : बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चल रही सियासी बहस के बीच छत्तीसगढ़ में भी चुनाव आयोग की इस महत्वाकांक्षी प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। रायपुर के दीनदयाल ऑडिटोरियम में 50 से अधिक शिक्षकों की टीम मतदाता सूचियों के मिलान का कार्य कर रही है। 2003 की पुरानी मतदाता सूची के साथ 2025 की प्रस्तावित सूची का तुलनात्मक विश्लेषण किया जा रहा है, जिससे फर्जी मतदाताओं की पहचान संभव हो सकेगी।

चुनाव आयोग ने बुधवार को स्पष्ट किया था कि SIR प्रक्रिया बिहार की तर्ज पर पूरे देश में लागू होगी, लेकिन अधिकांश राज्यों में आधे से अधिक मतदाताओं को अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसका कारण है कि ज्यादातर क्षेत्रों में यह पुनरीक्षण 2002 से 2004 के बीच पहले ही पूरा हो चुका था। जिन मतदाताओं के नाम उस समय की सूचियों में दर्ज हैं, उन्हें अपनी जन्मतिथि या जन्मस्थान सत्यापित करने के लिए कोई नया प्रमाण-पत्र जमा करने की जरूरत नहीं होगी।

नए मतदाता बनने की इच्छुक व्यक्तियों को डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा, जिसमें भारत में जन्म की तिथि का उल्लेख करना अनिवार्य होगा। विशेष रूप से, 1987 के बाद जन्मे लोगों को अपने माता-पिता के दस्तावेज प्रस्तुत करने पड़ेंगे, ताकि उनकी पात्रता की सत्यापन हो सके। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया, “यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अद्यतन और विश्वसनीय बनाने के लिए आवश्यक है। छत्तीसगढ़ में शुरुआती चरण सफलतापूर्वक चल रहा है, और हम फर्जी प्रविष्टियों को समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।”

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