Raipur

CG : फर्जी EWS प्रमाणपत्र के कारण तीन छात्राओं का MBBS दाखिला रद्द, चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने जारी किया आदेश

रायपुर : मेडिकल शिक्षा विभाग ने MBBS प्रवेश प्रक्रिया में एक बड़ा कदम उठाते हुए तीन छात्राओं का दाखिला रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई तब हुई जब बिलासपुर तहसील कार्यालय की जांच में सामने आया कि छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए EWS प्रमाणपत्र फर्जी थे। जिन छात्राओं का दाखिला रद्द किया गया है उनके नाम सुहानी सिंह, श्रेयांशी गुप्ता और भव्या मिश्रा बताए जा रहे हैं।

इन तीनों छात्राओं ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) पास करने के बाद MBBS में दाखिले के लिए आवेदन किया था। प्रवेश के दौरान उन्होंने EWS कोटे का लाभ लेने हेतु आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया। हालांकि, तहसील स्तर पर जांच में यह साबित हुआ कि ये प्रमाणपत्र असली नहीं थे।

तहसील कार्यालय की जांच

बिलासपुर तहसील कार्यालय की ओर से जब इन प्रमाणपत्रों की पुष्टि की गई, तो कई अनियमितताएँ सामने आईं। तहसीलदार गरिमा ठाकुर ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रमाणपत्रों पर लगी सील और हस्ताक्षर दोनों फर्जी पाए गए। इस रिपोर्ट को तुरंत चिकित्सा शिक्षा संचालनालय रायपुर को भेजा गया।

संचालनालय की कार्रवाई

रिपोर्ट मिलने के बाद चिकित्सा शिक्षा संचालनालय रायपुर ने फर्जीवाड़े को गंभीरता से लिया और तीनों छात्राओं का दाखिला रद्द कर दिया। विभाग का कहना है कि फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर दाखिला लेना नियमों के खिलाफ है और इससे न केवल ईमानदार विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन होता है, बल्कि चिकित्सा जैसी गंभीर शिक्षा में पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े होते हैं।

प्रवेश प्रणाली पर सवाल

इस पूरे प्रकरण ने राज्य की मेडिकल प्रवेश प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तहसील स्तर पर यह जांच नहीं होती, तो संभव था कि फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर छात्राएँ MBBS की पढ़ाई जारी रखतीं और असली हकदार छात्र-छात्राएँ अपने अधिकार से वंचित रह जाते।

भविष्य में सख्ती की तैयारी

मामले को देखते हुए अब विभाग ने तय किया है कि भविष्य में प्रवेश के समय प्रस्तुत किए जाने वाले सभी प्रमाणपत्रों की कड़ी जाँच की जाएगी। इसके लिए संबंधित तहसील और जिला प्रशासन से समन्वय बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

शिक्षा में पारदर्शिता का संदेश

चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की इस कार्रवाई को शिक्षा जगत में एक सख्त और आवश्यक कदम माना जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि ऐसे मामलों में कठोरता बरतना ज़रूरी है ताकि आगे से कोई भी छात्र या अभिभावक फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर आरक्षण या कोटे का दुरुपयोग करने की कोशिश न करे।

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