Bilashpur

CG हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : 24 साल पुराने दुष्कर्म मामले में 7 साल की सजा रद्द, 2002 में सुनाया गया था फैसला, जानें क्या है पूरा मामला

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 24 साल पुराने दुष्कर्म मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी की सात साल की सजा को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि अपराध के समय आरोपी की उम्र 18 वर्ष से कम थी, इसलिए उसे किशोर न्याय अधिनियम का लाभ मिलना चाहिए। मामला वर्ष 2001 का है। रतनपुर क्षेत्र के एक गांव में 3-4 जुलाई 2001 की रात 15 वर्षीय किशोरी के साथ उसके मौसेरे भाई ने जबरन दुष्कर्म किया था।

पीड़िता ने अगले दिन घटना की जानकारी अपने परिवार वालों को दी और फिर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। मामले की सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने 29 अप्रैल 2002 को आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(1) के तहत सात साल के सश्रम कारावास और 500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।

हाई कोर्ट में अपील

सजा के खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील दायर की। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने यह तर्क दिया कि घटना के समय आरोपी नाबालिग था। बचाव पक्ष ने आरोपी का स्कूल रिकॉर्ड प्रस्तुत किया, जिसमें उसकी जन्मतिथि 15 अक्टूबर 1984 दर्ज थी। इस आधार पर अपराध की तारीख यानी जुलाई 2001 को उसकी उम्र 16 साल 8 महीने 19 दिन थी।

जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के हरीराम बनाम राजस्थान राज्य और भारत भूषण बनाम दिल्ली सरकार के फैसलों का हवाला दिया। अदालत ने कहा कि किसी आरोपी की उम्र अपराध के दिन को ध्यान में रखकर देखी जाती है, न कि सजा सुनाए जाने की तारीख पर। कोर्ट ने माना कि आरोपी नाबालिग था और उसे किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के प्रावधानों का लाभ मिलना चाहिए।

अदालत का निर्देश

हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए मामला किशोर न्याय बोर्ड, बिलासपुर को भेज दिया है। बोर्ड को निर्देश दिए गए हैं कि वह आरोपी की उम्र, अब तक जेल में बिताए गए डेढ़ साल के समय, और वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए छह माह के भीतर अंतिम निर्णय सुनाए। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि आरोपी और पीड़िता अब अलग-अलग परिवारों में विवाह कर चुके हैं और उनके बच्चे भी हैं। यह तथ्य भी बोर्ड के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

हाई कोर्ट ने आरोपी की जमानत बरकरार रखते हुए उसे 8 अक्टूबर 2025 को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है। यह फैसला न केवल आरोपी के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि न्यायालय अपराध की तारीख पर आरोपी की उम्र को प्रमुख मानदंड मानते हैं। इससे भविष्य में ऐसे मामलों में किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के सही उपयोग का मार्गदर्शन मिलेगा।

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