Principle Promotion News : छत्तीसगढ़ के शिक्षकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य में लंबे समय से रुकी प्राचार्य पदोन्नति प्रक्रिया को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिल गई है। उच्च न्यायालय की डबल बेंच—न्यायमूर्ति रजनी दुबे एवं न्यायमूर्ति अमितेंद्र कुमार प्रसाद ने 1 जुलाई को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए प्राचार्य पदोन्नति के खिलाफ दायर सभी 13 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने सरकार द्वारा की गई पदोन्नति प्रक्रिया को नियम सम्मत मानते हुए न केवल उसे वैध ठहराया, बल्कि शासन को नियम 15 में आंशिक संशोधन का सुझाव भी दिया है।
लंबी लड़ाई के बाद मिली जीत
छत्तीसगढ़ प्राचार्य पदोन्नति फोरम ने इस लड़ाई की अगुवाई की थी। फोरम के पदाधिकारियों—अनिल शुक्ला और राकेश शर्मा—ने बताया कि इस फैसले के बाद स्कूल शिक्षा विभाग जल्द ही 2813 व्याख्याता और प्रधानपाठकों को प्राचार्य के पद पर पदस्थ करने का आदेश जारी करेगा। विदित हो कि स्कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्य के कुल 4690 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से वर्तमान में केवल 1430 पद भरे हुए हैं। बाकी 3224 पद कई वर्षों से रिक्त हैं।

एक दशक बाद खुला प्रमोशन का रास्ता
विद्यालयी शिक्षा में वर्ष 2016 और आदिम जाति कल्याण (अब स्कूल शिक्षा में समाहित) विभाग में वर्ष 2013 में आखिरी बार प्राचार्य पदोन्नति हुई थी। इस लंबे अंतराल के कारण चार संगठनों ने मिलकर ‘प्राचार्य पदोन्नति फोरम’ का गठन किया और 17 दिसंबर 2024 को रायपुर के इंद्रावती एवं महानदी भवन के सामने हजारों शिक्षकों के साथ प्रदर्शन किया। इसका असर यह हुआ कि सरकार ने प्राचार्य पदोन्नति प्रक्रिया प्रारंभ की, लेकिन इसके खिलाफ कुछ शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कर दीं।
न्यायालय में मजबूती से रखा गया पक्ष
फोरम ने सभी याचिकाओं के विरुद्ध हस्तक्षेप याचिका दायर की और सात अधिवक्ताओं की टीम के माध्यम से मजबूती से अपना पक्ष रखा। अंततः न्यायालय ने फोरम की दलीलों को स्वीकार करते हुए शासन के पक्ष में निर्णय सुनाया।

फोरम की मांग और आभार
फोरम ने यह मांग की है कि 30 अप्रैल 2025 को जारी पदोन्नति सूची में जिनका नाम है, यदि वे सेवानिवृत्त भी हो चुके हों, तो भी उन्हें पदोन्नति का लाभ दिया जाए। साथ ही फोरम ने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, स्कूल शिक्षा मंत्री, सचिव स्कूल शिक्षा तथा लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों के प्रति आभार जताया है।फोरम के नेताओं ने इस निर्णय को ‘सत्य की जीत’ बताया है।